इससे 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों में संक्रमण के चलन का पता लगाने के लिए बच्चों को आधार बना कर सीरो सर्वे करवाने वाला पंजाब देश का अकेला राज्य बन जायेगा। मुख्यमंत्री ने हर जिले में बच्चों के इलाज के लिए एक -एक यूनिट (पीडीऐट्रिक यूनिट) और राज्य के लिए बच्चों के इलाज के लिए प्रथम दर्जे का केंद्र स्थापित करने के आदेश भी दिए।
उन्होंने आगे ऐलान किया कि सरकार मैडीकल ग्रेड आक्सीजन की 24 घंटे उपलब्धता को यकीनी बनाने के लिए हर जिले में एलएमओ स्टोरेज टैंक भी स्थापित करेगी। उन्होंने आगे बताया कि हरेक जिले, सब -डिविज़न और सीएचसी स्तर पर मैडीकल गैस पाइपलाइन सिस्टम भी स्थापित किये जाएंगे और इसके साथ ही 17 और आरटीपीसीआर लैबज़ की स्थापना करने का ऐलान भी किया। कैप्टन अमरिन्दर ने आगे कहा कि सरकारी अस्पतालों में आईसीयू बैडों की संख्या बढ़ा कर 142 कर दी जायेगी और टेली मैडिसन और टैलीकंसलटेशन के लिए एक हब और स्कोप माडल भी स्थापित किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तीसरे सैंटीनल सीरो-सर्वेक्षण के नतीजों का प्रयोग अन्य पाबंदियाँ निर्धारित करने के लिए किया जायेगा क्योंकि राज्य तीसरी लहर के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने आगे बताया कि स्थानीय पाबंदियों के लिए आटो ट्रिग्गर विधि के साथ जीआईऐस आधारित निगरानी और रोकथाम के उपकरणों का प्रयोग किया जायेगा।
डा. के के तलवाड़ ने मुख्यमंत्री के एक सवाल के जवाब में बताया कि पहली और दूसरी लहर में, संक्रमित हुए लोगों में से 10 फ़ीसद 18 वर्ष से कम आयु के थे और जब इस तरह के अनुमानों का समर्थन करने के लिए कोई ठोस आंकड़े नहीं थे, तो राज्य तीसरी लहर में बच्चों के और ज्यादा मामलों के प्रबंधन के लिए तैयारी कर रहा था।
स्वास्थ्य सचिव हुसन लाल ने मुख्यमंत्री को बताया कि आईसीएमआर सिस्टम से बाहर नमूने लेने और रिपोर्टिंग प्रणाली से जुड़े ज़रुरी मापदण्डों को हासिल करने के लिए कौवा में तबदीलियों की प्रक्रिया शुरू की गई थी।
मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को सभी पदों की भर्ती में तेज़ी लाने के लिए कहा जिसके लिए कैबिनेट की मंज़ूरी पहले ही ली जा चुकी है। उन्होंने ज़िक्र किया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा 31 जुलाई को वाक-इन इंटरव्यूज़ के लिए 481 माहिरों की भर्ती के लिए इश्तेहार पहले ही जारी कर दिया गया था। मैडीकल शिक्षा और अनुसंधान विभाग ने भी आने वाले महीने में पद भरने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
कैप्टन अमरिन्दर ने तीसरी लहर की तैयारी की रणनीति पर संतोष प्रकट करते हुये कहा कि एक दिन में 40,000 – 45,000 के करीब टेस्टिंग की व्यवस्था की गई है, जिसमें और ज्यादा आबादी और अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके इलावा हर पाज़ेटिव मरीज़ के पीछे संपर्क ट्रेसिंग 18 तक बना कर रखी गई है।
उन्होंने इस बात पर ख़ुशी ज़ाहिर की कि हरेक जिले में डाटा सैल चालू किये गए हैं। उन्होंने हुक्म दिया कि हरेक जिले में तैनात नयी भर्ती किये कम्युनिटी मैडिसन माहिरों को तुरंत इन डाटा सैलों का प्रभार दिया जाये।
मुख्यमंत्री ने हिदायत की कि सरकारी मैडीकल कालेज और अस्पताल, पटियाला में पाथ के सहयोग से स्थापित की जा रही होल जिनोम सिक्वेंसिंग (डब्ल्यूजीएस) लैब को इस महीने कार्यशील किया जाये। उनको बताया गया कि इसका साजो-सामान 25 जुलाई तक प्राप्त हो जायेगा और इस महीने के अंत तक काम शुरू होने की उम्मीद है। मीटिंग को बताया गया कि वी.आर.डी.एल. पटियाला का सम्बन्धित स्टाफ डब्ल्यू.जी.एस. टेस्टिंग के लिए 3 दिनों के प्रशिक्षण के लिए एन.ई.ई.आर.आई. नासिक गया है।
स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिद्धू और मैडीकल शिक्षा और अनुसंधान मंत्री ओ पी सोनी ने मुख्यमंत्री को अस्पतालों आदि की स्थिति के बारे जानकारी दी।
डा. के के तलवाड़ ने मीटिंग में बताया कि पंजाब के हालात इस समय सुखद हैं, हालाँकि तीसरी लहर का डर बना हुआ है और आई.सी.एम.आर. की तरफ से अगस्त के अंत में या सितम्बर की शुरूआत तक इस लहर के आने की भविष्वाणी की गई है। उन्होंने कहा कि यदि कोरोना का नया वेरीऐंट नहीं आता तो स्थिति दूसरी लहर जितनी जोखिम वाली नहीं होगी। हालाँकि, उन्होंने जलसा करने सम्बन्धी और ज्यादा सावधानी बरतने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया, क्योंकि कुछ राज्यों में केस बढ़ रहे हैं।