खालसा कॉलेज में पांच दिवसीय आठवां अमृतसर साहित्य उत्सव तथा पुस्तक मेले का शानदार आगाज

0
202

पुस्तकों की अधिक बिक्री ऐसे जैसे तपती हुई गर्मी में ठंडी हवा का झोंका : जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह , खालसा गवर्निंग काउंसिल 2015 से युवाओं को पुस्तकों से जोड़ने के लिए लगा रहा है पुस्तक मेला : छीना, देश की अफसरशाही में पंजाबियों के कम हो रहे कोटे को बरकरार रखने के लिए पुस्तकों से जुड़ना जरूरी :  जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह

अमृतसर 14 फरवरी

श्री अकाल तख्त साहिब जी के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह खालसा कॉलेज में 5 दिवसीय ‘8वें अमृतसर साहित्य महोत्सव और पुस्तक मेले’ के अवसर पर पुस्तक का विमोचन करते हुए। राजिंदर मोहन सिंह छीना, प्रिंसिपल डॉ. महल सिंह व अन्य

पिछले साल खालसा कॉलेज में वार्षिक पुस्तक मेले के दौरान 1 करोड़ रुपए की किताबों की बिक्री होना ऐसे महसूस करवाता है जैसे तपती हुई गर्मी में ठंडी हवा का झोंका हो। शुक्र है हमारे पंजाब के नौजवानों ने अपने साहित्य, गौरवशाली इतिहास और समृद्ध विरासत को जानने के लिए किताबें पढ़ना शुरू किया। ये शब्द श्री अकाल तख्त साहिब जी के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने व्यक्त किए, जो आज खालसा कॉलेज के प्रांगण में आयोजित 5 दिवसीय ‘आठवें अमृतसर साहित्य उत्सव और पुस्तक मेले’ के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे।उन्होंने कहा कि श्री गुटका साहिब से पाठ करने और किताबों से साहित्य व इतिहास पढ़ने से बड़ा आनंद मिलता है, जिसे टैब, मोबाइल से नहीं पढ़ा जा सकता। आजकल किताबों को पढ़ने में पंजाबियों की दिलचस्पी कहीं कम होती दिख रही है। लेकिन अगर हम विदेशों पर नजर डालें तो वे अपना ज्यादातर समय किसी न किसी विषय पर किताबें पढ़ने में बिताना पसंद करते हैं, भले ही वह यात्रा के दौरान ही क्यों न हो।इस अवसर पर सिंह साहिब ने कहा कि कॉलेज सिख समाज का प्रकाश स्तंभ है और एक ऐतिहासिक शिक्षण संस्थान है और यह बहुत खुशी की बात है कि खालसा प्रबंधन वर्तमान समय के युवाओं को पंजाब से जोड़ने के लिए 2015 से उक्त मेला लगा रहा है, जिसके गवर्निंग काउंसिल तथा समूह स्टाल वाले बधाई के पात्र है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक युग में भी पुस्तकों का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि देश की नौकरशाही में पंजाबियों का कोटा लगातार कम हो रहा है और इसे बनाए रखने के लिए किताबों से जुड़ना बेहद जरूरी है।समारोह की अध्यक्षता कर रहे खालसा कॉलेज गवर्निंग काउंसिल के आनरेरी सचिव  राजिंदर मोहन सिंह छीना ने कहा कि कॉलेज अपनी स्थापना के पहले दिन से ही पंजाबी भाषा और साहित्य के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि देखने में आया है कि कंप्यूटर, लैपटॉप ने बच्चों को किताबों से दूर कर दिया है, जिससे आज के युवाओं में किताब पढ़ने का चलन कम होने लगा है। युवाओं को किताबों से जोड़ने के उद्देश्य से समूह प्रबंधन ने वर्ष 2015 में बड़े पैमाने पर साहित्यिक पुस्तक स्थापित करने का निर्णय लिया और इस बात का गर्व महसूस हो रहा है कि आज हम काफी हद तक बच्चों को किताबों से जोड़ने में सफल हुए हैं।पुस्तकों के बारे में बात करते हुए छीना ने कहा कि अकेले खालसा कॉलेज के पुस्तकालय में लगभग 1.85 हजार विभिन्न प्रकार की पुस्तकें हैं और यदि गवर्निंग काउंसिल के अधीन सभी शिक्षण संस्थानों की बात करें तो लगभग सभी के पास लगभग सभी का भंडार है। 8-9 पुस्तको का जखीरा मौजूद हैं।

इससे पहले कॉलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा शबद गायन के बाद प्राचार्य डाॅ. महल सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया और विमोचन होने वाली पुस्तकों की जानकारी देकर गवर्निंग काउंसिल के इतिहास की जानकारी दी। इस अवसर पर आए अतिथियों ने कॉलेज की शोध पत्रिका ‘संवाद-17’, ‘खालसा कॉलेज अमृतसर-चानन मुनारा’ (कॉफी टेबल बुक), हरभजन सिंह चीमा की किताब ‘महाराज रणजीत सिंह-सिख राज की बात’ में डॉ. हरदेव सिंह की पुस्तक ‘भाई नंद लाल की रचनाएँ और सिख दर्शन’ और अजयपाल सिंह ढिल्लों की कविता पुस्तक ‘अजमल’ का विमोचन किया गया।

इस अवसर पर काउंसिल के वित्त सचिव  गुनबीर सिंह, प्रसिद्ध पंजाबी गायक बीर सिंह, डॉ. सुरजीत पातर, वेरका मिल्क प्लांट के लखविंदर सिंह जौहल, केवल धालीवाल व जीएम हरमिंदर सिंह संधू शामिल हुए। आयोजन का संचालन डाॅ. परमिंदर सिंह ने अच्छा प्रदर्शन किया और कार्यक्रम के अंत में डॉ. आतम सिंह रंधावा ने अतिथियों का धन्यवाद किया।

इस कार्यक्रम के दूसरे भाग में दोपहर में ‘सुर, शबद ते संवाद’ कार्यक्रम में प्रसिद्ध कवि  जसवंत जफर ने गायक बीर सिंह से उनके गायन के अनुभव के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब दिए और इस दौरान बीर सिंह ने भी अपनी गायकी की प्रस्तुति दी। प्रसिद्ध पंजाबी कवि जैसे डॉ. सुरजीत पातर, डॉ. लखविंदर जौहल, सुखविंदर अमृत, अमरजीत , विजय, विवेक, स्वर्णजीत, जसवंत जफर, गुरतेज, चरण सिंह कनाडा, सरबजीत कौर जस, अरतिदर संधू, हरमीत विद्यार्थी, बीबा बलवंत और मदन वीरा ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

 इस अवसर पर कॉलेज के युवा कल्याण विभाग के छात्र-छात्राओं ने घर लौट रहे दर्शकों को भांगड़ा व गिददे की प्रस्तुति से नचाया।

मेले के मुख्य आयोजक डॉ. रंधावा ने कहा कि मेले में दर्शकों की भारी उपस्थिति के कारण आज पुस्तकों की अच्छी खरीदारी हुई है और मेले के दूसरे दिन 15 फरवरी को चार कार्यक्रम होंगे। पहली घटना में महेंद्र सिंह सरना की जन्म शताब्दी को समर्पित एक पैनल चर्चा होगी जिसमें विभिन्न विद्वान भाग लेंगे। दूसरे कार्यक्रम ‘संवाद-ए-पंजाब’ में भी पैनल डिस्कशन होगा और विचारक पंजाब के वर्तमान और भविष्य पर अपने विचार रखेंगे। तीसरे कार्यक्रम के दौरान पुस्तकें जारी की जाएंगी और चौथे कार्यक्रम में याकूब जी अपने सूफी गायन से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे।