मुख्यमंत्री ने केंद्र द्वारा गेहूँ की एमएसपी में वृद्धि को शर्मनाक करार देते हुये आंदोलनकारी किसानों के ज़ख़्मों पर नमक छिड़कने जैसा बताया

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भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को भारत के कृषि क्षेत्र को तबाही के किनारे लाने के लिए आड़े हाथों लिया
चंडीगढ़, 8 सितम्बरः केंद्र की कैबिनेट द्वारा गेहूँ की एमएसपी में की गई वृद्धि को शर्मनाक करार देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बुधवार को केंद्र सरकार को मुसीबत में घिरे किसानों, जो कि पिछले 10 महीनों से कृषि कानूनों के खि़लाफ़ आंदोलन करने के लिए सड़कों पर उतरे हुए हैं, के ज़ख़्मों पर नमक छिड़कने के लिए आड़े हाथों लिया है।
Lamb, pulao, zarda rice on menu as Punjab CM cooks up a meal fit for  Olympians today | Cities News,The Indian Express
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भारत का कृषि क्षेत्र कठिन समय में से गुज़र रहा है और किसान उचित एमएसपी के लिए आंदोलन कर रहे हैं, ऐसे समय भाजपा के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने अन्नदाताओं के साथ भद्दा मज़ाक किया है।
गेहूँ की एमएसपी को प्रति क्विंटल 2830 रुपए निर्धारित किये जाने (केंद्र द्वारा आज ऐलानी 2015 रुपए प्रति क्विंटल की नाममात्र सी कीमत की जगह) की माँग करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि किसानों को उपभोक्ताओं को आर्थिक छूट देने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह राहत तो वह पिछले काफ़ी समय से देते आ रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार किसानों की मुश्किलों की तरफ ध्यान दे और उनको बनते हक दे।’’ उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की तरफ से किसानों को लगातार अनदेखा किये जाने के कारण खेती क्षेत्र, जो कि देश की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत है, तबाही के किनारे पर आ गया है। उन्होंने आगे पूछा, ‘‘ केंद्र सरकार क्यूं हमारे किसानों के साथ इस तरह का बुरा सलूक कर रही है।’’Stand on farm laws unchanged, committed to early resolution: Capt Amarinder  Singh | India News,The Indian Express
गेहूँ की एमएसपी को प्रति क्विंटल 2015 रुपए निर्धारित किये जाने को पंजाब के किसानों की उम्मीद से कहीं नीचे बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में गेहूँ की उपज की लागत को मुख्य रखते हुये प्रति क्विंटल 2830 रुपए एमएसपी का सुझाव दिया था। उन्होंने आगे कहा कि सीएसीपी के अनुमानों के मुताबिक बीते साल सिर्फ़ विस्तृत उत्पादन लागत ही 3.5 फीसदी बढ़ गई थी और इससे तो लागत खर्चों के बीच की मुद्रा स्फीति भी पूरी नहीं पड़ती।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि गेहूँ की एमएसपी रबी सीजन (2021-22) में 1975 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ती हुई रबी(2022-23) के लिए 2015 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुँच गई है जोकि बीते साल के मुकाबले सिर्फ़ 2 फीसदी विस्तार है। परन्तु, लागत खर्च काफ़ी बढ़ गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि इस साल मजदूरी में 7 फीसदी का विस्तार हुआ है और इसके साथ ही डीज़ल की कीमतें 4प्रतिशत और मशनीरी की कीमत इस समय के दौरान तकरीबन 20 प्रतिशत बढ़ गई है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा क्योंकि गेहूँ की काश्त की लागत में उपरोक्त पक्ष काफ़ी अहम भूमिका निभाते हैं, इसलिए एमएसपी में 2 फीसद का मामूली सा विस्तार किये जाने से पंजाब के किसानों का घाटा पूरा नहीं होगा और उनके मुनाफों पर भी प्रभाव पड़ेगा।