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जी.एस.टी. काऊंसिल का मंत्री समूह तानाशाहों की तरह व्यवहार करना बंद करे: मनप्रीत बादल

श्मशान घाटों की भट्टियों से राजस्व एकत्रित करने की कोशिश के लिए केंद्र सरकार की आलोचना

श्मशान घाटों की भट्टियों से राजस्व एकत्रित करने की कोशिश के लिए केंद्र सरकार की आलोचना

कोविड-19 संकट को सदी में एक बार आने वाली आपदा बताते हुए पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि जी.एस.टी. काऊंसिल के मंत्री समूह को पुराने समय के तानाशाहों की तरह व्यवहार करना बंद करना चाहिए और दया-भावना पर आधारित फ़ैसले लेने चाहिएँ।
वित्त मंत्री ने कहा कि महामारी के दौरान कोविड से सम्बन्धित सभी चीज़ों पर कोई टैक्स नहीं वसूला जाना चाहिए। उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस की नुमायंदगी करने वाले अन्य वित्त मंत्रियों के साथ राष्ट्रीय संकट के इस समय के दौरान कोविड से सम्बन्धित चीज़ों पर जीएसटी लगाने का ज़ोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि दूसरा विकल्प 0.1 प्रतिशत की दर से टैक्स वसूल करने का है, जो पूरी तरह जी.एस.टी. काऊंसिल के अधिकार क्षेत्र में है और यह फ़ैसला महामारी ख़त्म होने तक लागू रहना चाहिए।
जी.एस.टी. काऊंसिल की 44वीं बैठक में पंजाब के वित्त मंत्री ने सत्ताधारी सरकार से अपील की कि वह इंडियन नेशनल कांग्रेस (आईएनसी) के नुमायंदों को मंत्री समूह (जीओएम) में शामिल करें। मनप्रीत सिंह बादल ने कहा, ‘‘यह बात समझ से बाहर है कि लोक सभा और राज्य सभा दोनों में भारत की मुख्य विरोधी पार्टी को मंत्री समूह में से क्यों बाहर रखा गया।’’
पंजाब के वित्त मंत्री ने चेयरपर्सन को जी.एस.टी. काऊंसिल के उपाध्यक्ष के पद को संचालित करने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही जीएसटी काऊंसिल का अपना सचिवालय होना आवश्यक है और इसको विभिन्न विचारों के आधार पर विवाद निपटारे की विधि संबंधी फ़ैसला लेने का अधिकार दिया जाना चाहिए।
उन्होंने अफ़सोस ज़ाहिर किया कि मंत्री समूह हमदर्दी के साथ काम करने की बजाय केंद्र के इशारे पर काम कर रहा है, जिसके सदस्यों को शायद यह डर है कि उनको भविष्य के जी.ओ.एम. में से बाहर न कर दिया जाए। उन्होंने समूचे जीएसटी मुद्दे पर व्यापक नजऱ दौड़ाने की माँग भी की, जिससे भारत के लोगों की दुख-तकलीफ़ों को दूर करने के लिए एक उपयुक्त, विचारशील और मानव हितैषी पहुँच को अपनाया जा सके।
मनप्रीत सिंह बादल ने जी.ओ.एम. को याद दिलाया कि स्वास्थ्य संभाल सेवाएं, जिनमें दवा के सभी मान्यता प्राप्त व्यवस्था (ऐलोपैथी, आयुर्वेद, युनानी, होम्योपैथी, योगा) शामिल हैं, को जीएसटी के अंतर्गत पहले ही छूट है। दवा की सप्लाई जो कि इलाज पैकेज का हिस्सा है, को भी छूट दी गई है, क्योंकि यह सारा लेन-देन एक सेवा माना जाता है।
उन्होंने निजी अस्पतालों के मुकाबले सरकारी अस्पताल पर जीएसटी पर रोक लगाने के विचार की आलोचना करते हुए कहा कि दोनों ही देशवासियों का इलाज करते हैं। जीएसटी रजिस्ट्रेशन और बिलिंग और बाद में रिटर्न भरने की ज़रूरत है, का विचार बहुत ही हास्यास्पद है। पंजाब के वित्त मंत्री ने पूछा, एक उपभोक्ता बिल में जीएसटी को दिखाया हुआ देख कर क्या महसूस करेगा?
मनप्रीत सिंह बादल ने श्मशान घाटों की भट्टियों से राजस्व एकत्रित करने की कोशिश की अलोचना करते हुए कहा कि इस श्रेणी को छूट वाली श्रेणी में ही रखा जाना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि क्या केंद्र सरकार इस तरह राजस्व इक_ा करना चाहती है? जि़क्रयोग्य है कि मंत्री समूह भट्टियों पर टैक्स की दर में 18 प्रतिशत से 12 प्रतिशत तक छूट देने पर विचार कर रहा था। इसी तरह आरटी-पीसीआर मशीन पहले ही रियायती दर पर खऱीदी गई है, और व्यावहारिक तौर पर सभी राज्यों ने कोविड टैस्ट की कीमत भी नियमित की है। इसलिए 18 प्रतिशत टैक्स दर को बरकरार रखने की सिफ़ारिश निरर्थक है।
कोविड से बचाव सामग्री जिसमें टीके और मास्क, पीपीईज़, हैंड सैनेटाईजऱ, मैडीकल ग्रेड ऑक्सीजन, टेस्टिंग किटों, वैंटीलेटर्स, बिपैप मशीन, और पल्स ऑक्सीमीटर शामिल हैं, पर जीएसटी लगाना असंवेदनशीलता और करूणा की कमी को दर्शाता है।
उन्होंने चेतावनी दी कि कर ढांचे को उल्ट करने या सस्ते आयात के आधार पर छूट लेने के लिए अपने हिसाब से चीज़ों को चुनने या छोडऩे की कोशिश जीएसटी की बुनियाद को ख़त्म कर देगी। अंत में पंजाब के वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड-19 से सम्बन्धित छूट 31 अगस्त, 2021 तक ख़त्म नहीं होनी चाहीएँ। उन्होंने सवाल किया कि क्या कोविड उस समय पर ख़त्म हो जाएगा? मनप्रीत सिंह बादल ने आगे कहा कि हमें और ज्यादा वास्तविक और उचित समय-सीमा की ज़रूरत है, जो दया भावना पर आधारित हो।
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