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खालसा कॉलेज वूमैन में नारी सशक्तिकरण विषय पर दो दिवसीय सेमिनार करवाया गया महिला समाज का केंद्र बिंदु, समाज का विकास महिला के विकास पर ही निर्भर: छीना

अमृतसर 13 फरवरी

खालसा कालेज फॉर वूमेन में दो दिवसीय सेमिनार के दौरान संबोधन करते हुए राजिंदर मोहन सिंह छीना साथ हैं प्रिंसिपल डॉक्टर सुरिंदर कौर तथा अन्य अलग-अलग दृश्य

खालसा कॉलेज फॉर वूमेन के पोस्टग्रेजुएट पंजाबी विभाग द्वारा आईसीएसएसआर के सहयोग से लैंगिक समानता तथा नारी सशक्तिकरण चुनौतियां प्राप्तियां तथा संभावना विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार करवाया गया। सेमिनार की शुरुआत छात्राओं की ओर से शब्द गायन करने के बाद मुख्य मेहमान के रूप में पहुंचे खालसा कॉलेज गवर्निंग काउंसिल के आनरेरी सचिव राजिंदर मोहन सिंह छीना द्वारा कॉलेज प्रिंसिपल डॉक्टर सुरिंदर कौर के साथ मिलकर शमा रोशन करने की रस्म के साथ किया गया।इस अवसर पर छीना ने संबोधन करते हुए जहां पंजाबी विभाग को बधाई दी वही उनके साथ समूह छात्राओं को महिला के गौरवशाली इतिहास से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि महिला समाज का केंद्र बिंदु है, समाज का विकास महिला के विकास पर ही निर्भर है।इससे पहले प्रिंसिपल डॉ सुरेंद्र कौर ने आए हुए मुख्य मेहमान तथा विद्वानों को पौधे भेंट करके स्वागत किया।इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉक्टर सरबजीत कौर सोहल प्रधान पंजाब साहित्य अकादमी चंडीगढ़ ने महिला के सामाजिक रोल को ऐतिहासिक कोण से विचार करते हुए वर्तमान समय की तस्वीर को सामने पेश किया।उन्होंने कहा कि चुनौतियों में ही मंजिल का रास्ता साफ होता है समूचे महिला वर्ग का गुलामी से बाहर निकलकर आज आत्मनिर्भर जिंदगी के मालिक बनने तक का सफर अपने आप में ही महिला के सामाजिक विकास का प्रमाण है।

इस अवसर पर विशेष मेहमान के रूप में हाजिर कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉक्टर सुखबीर कौर माहल ने बातचीत करते हुए कहा कि नारी सशक्तिकरण तक पहुंच करना नारी चेतना पर निर्भर है। नारी ने एक चेतना के स्तर पर विकसित होकर आज सामाजिक आर्थिक धार्मिक व राजनीतिक क्षेत्र में अपनी शक्ति का लोहा मनवाया है। ऐसी स्थिति नारी के रोशन भविष्य की तरफ इशारा है।

सेमिनार में प्रधानगी भाषण देते हुए डॉ विनीता (कन्वीनर पंजाबी सलाहकार बोर्ड साहित्य अकादमी नई दिल्ली)ने कहा कि लैंगिक भेदभाव आज नारी के विकास में बाधा नहीं रहा। क्योंकि नारी अपने अबला रूप से निकलकर सबला रूप में प्रवेश कर चुकी है। साथ ही उन्होंने नारी के समूचे इतिहास को पुनर परिभाषित किया।

इसके बाद सेमिनार के उद्घाटन सेशन के अलग-अलग अकादमी सेक्शन में डॉक्टर रचना ( सहायक प्रोफेसर समाजशास्त्र विभाग गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर) डॉक्टर सरबजीत सिंह मान (सहायक प्रोफेसर आई के गुजराल पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी कपूरथला) श्रीमती नवजोत कौर चबबा ( वकील डिस्ट्रिक्ट कोर्ट अमृतसर तथा तरणतारन) डॉ कुलदीप सिंह ढिल्लों (सहायक प्रोफेसर पंजाबी अध्ययन विभाग खालसा कॉलेज अमृतसर) डॉक्टर तेजिंदर कौर (सहायक प्रोफेसर पोस्टग्रेजुएट पंजाबी विभाग गुजरांवाला गुरु नानक खालसा कॉलेज लुधियाना) डॉक्टर परमजीत कौर (सहायक प्रोफेसर पोस्टग्रेजुएट पंजाबी विभाग माझा कॉलेज फॉर विमेन अमृतसर ) डॉ हरजीत कौर (सहायक प्रोफेसर पंजाबी अध्ययन विभाग खालसा कॉलेज अमृतसर ) डॉक्टर पवन कुमार (सहायक प्रोफेसर पंजाबी अध्ययन स्कूल गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर) श्रीमती समन दीप कौर ( सहायक प्रोफेसर व मुखी अंग्रेजी विभाग खालसा कॉलेज फॉर वूमेन अमृतसर) डॉक्टर सरगी (सहायक प्रोफेसर तथा मुखी पंजाबी विभाग स्वरूपरानी सरकारी कॉलेज गर्ल्स अमृतसर) डॉक्टर हरमीत कौर (सहायक प्रोफेसर व मुखी पोस्टग्रेजुएट पंजाबी विभाग रामगढ़िया कॉलेज फगवाड़ा) डॉक्टर हरजिंदर कौर (सहायक प्रोफेसर पोस्टग्रेजुएट पंजाबी विभाग हिंदू कन्या महाविद्यालय धारीवाल) द्वारा विषय संबंधित मूल्यवान प्रपत्र पढ़े गए।

इन सेशन के दौरान डॉक्टर सुखबीर कौर माहल, डॉक्टर मनजिंदर सिंह (एसोसिएट प्रोफेसर व मुखी पंजाबी अध्ययन स्कूल गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर) डॉ मोहनजीत नागपाल सेठी तथा डॉक्टर परमजीत सिंह ढींगरा (प्रोफेसर व पूर्व डायरेक्टर पंजाब यूनिवर्सिटी रीजनल सेंटर मुक्तसर ) ने अध्यक्षता करते हुए समूची विचार चर्चा को बड़े प्रभावशाली ढंग के साथ समेटा।

सेमिनार के अंत में विभाग मुखी रविंदर कौर ने जहां सभी का धन्यवाद किया वही साथ ही साथ विषय संबंधित हुई सभी बातचीत को महिला के सामाजिक विकास के लिए नई संभावना की तरफ ध्यान दिलाने का सफल साधन बताया। सेमिनार के दौरान मंच संचालन की भूमिका सेमिनार कन्वीनर डॉ प्रदीप कौर द्वारा निभाई गई।

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