खालसा कालेज में तीन दिवसीय कहानी गोष्ठी प्रोग्राम करवाया गया

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अमृतसर 17 दिसंबर

खालसा कालेज के सहयोग से जालंधर से निकलते साहित्यिक मेगजीन प्रवचन द्वारा नई  पंजाबी कहानी के बारे तीन दिवसीय गोष्ठी करवाई गई। कालेज के कमेटी रूम में हुई इस गोष्ठी में कहानीकार परवेज संधू, बलौरी अक्ख वाला मुंडा, बलविंदर ग्रेवाल मसान, जिंदर, कुड़िक्की, जसवीर राणा सफेद  दाढ़ी पर बैठी तितली व बिंदर बसरा कोई अन्य नहीं की कहानियों का पाठ हुआ तथा इन कहानियों के बारे प्रिंसिपल डा. महल सिंह, डा. कुलवंत सिंह संधू, डा. जनमीत सिंह, जस्स मंड व डा. रमिंदर कौर ने विचार चर्चा की। इस गोष्ठी में डा. जसविंदर सिंह, डा. धनवंत कौर, श्री सुकीरत, डा. रजनीश बहादुर सिंह, मनमोहन बावा, बलबीर परवाना, हरविंदर भंडाल, डा. बलजीत कौर, डा. शरणजीत कौर, बिंदर बसरा व मनीष कुमार ने भी शिरकत की तथा अलग अलग कहानियों के बारे विचार  रखे।

इस अवसर पर कालेज के परिसर में आए कहानीकार व विद्वानों का स्वागत करते हुए प्रिंसिपल डा. महल सिंह ने कहा कि कालेज पंजाबी भाषा व साहित्य की बेहतरी के लिए हमेशा काम करता रहा है। आगे भी करता रहेगा। हम पंजाबी के साहित्यकारों व विद्वानों को आमंत्रण देते है कि वह यहां आकर कोई भी पंजाबी भाषा व साहित्य की बेहतरी के लिए समारोह करवाएं। हम हर किस्म का सहयोग देंगे। उन्होंने कहा कि पंजाबी कहानी ने बहुत विकास किया है। इसकी बहुपक्षीय आलोचना की जरूरत है। ताकि समय के समान की और बेहतरीन कहानी सृजित की जा सके।

कहानी गोष्ठी की शुरूआत गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के पूर्व मुखी डा. रमिंदर कौर के पेपर चौथी पीढ़ी की कहानी की विलक्षणता के साथ हुई। डा. रमिंदर कौर ने विस्तार पूर्वक पंजाबी कहानी के ऐतिहासिक संदर्भ को खोलते हुए पहली तीन पीढ़ियों की कहानी की अलगाव बता कर फिर चौथी पीढ़ी की कहानी की रूपगत व विषयगत अलग पहचान बताई। उन्होंने कहा कि पंजाबी कहानी ने हमेशा सामाजिक राजनीतिक लहरों से मिल कर समाज की यथार्थक पेशकारी की है।

इस गोष्ठी में पहले दिन परवेज संधू की कहानी बलौरी अक्ख वाला मुंडा पढ़ कर सुनाई गई। जिसके बारे रजनीश बहादुर सिंह ने कहा कि परवेज संधू ने बहुत खूबसूरत विषय को लिया है। दूसरी तरफ इस कहानी के बारे प्रिंसिपल डा. महल सिंह का कहना था कि लेखिका ने वर्तमान समय से बहुत पिछड़ी बात की