21 मई 1991 को बीते 29 साल गुजर गए और 29 सालों में देश की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर देश पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुन्यतिथि पर उन्हें तकरीबन भुला दिया गया। पंजाब में उसी कांग्रेस का शासन है और सोशल मीडिया पर सबसे एक्टिव रहने वाले कांग्रेसी भी राजीव गांधी को नमन करने में कहीं न कहीं पीछे रह गए। कोरोना काल में ऑन लाइन के सहारे जहां गतिविधियों का संचालन कर सोशल मीडिया पर लाइक बटोरे जा रहे हैं, लेकिन 21 मई को बीतने के 24 घंटे बाद भी राजीव गांधी को नमन करने वाली तस्वीरें दिखाई कम ही पड़ी। बात करें पंजाब की या अमृतसर के कांग्रेसियों को तो जिस हाथ वाली पार्टी के चलते आज वो सत्ता भोग रहे हैं उन्होंने भी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के उस बलिदान दिवस पर हाथों से उनकी प्रतिमा को फूल भी भेंट न कर सके।
पंजाब के पूर्व डिप्टी स्पीकर प्रोफेसर दरबारी लाल बताते हैं कि 1991 में जब राजीव गांधी की मौत का दुखद समाचार मिला तब सियासत भुला हर पार्टी के लोगों ने आतंकवाद के इस कांड पर एकजुट होकर देश के साथ खड़े हुए थे, बहुत ही दुखदाई घटना से देश गुजरा था। पंजाब में उस समय आतंक का परचम लहरा रहा था तो दूसरी तरफ इस आतंकी घटना से देश सिहर उठा था।
बता दे, राजीव गांधी ने सबसे कम उम्र में जहां देश की कमान बतौक प्रधानमंत्री के तौर पर संभाली थी वहीं उनके बलिदान के बाद देश में गांधी परिवार से अब तक प्रधानमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंच सका है, भले ही कांग्रेस का 10 साल का शासनकाल रहा लेकिन उस दौरान अमृतसर के लाल सरदार मनमनोहन सिंह ने देश की सत्ता संभाली भले ही परदे के पीछे सोनिया गांधी व उनके परिवार रहा लेकिन एक बात सत्य है कि 29 सालों के बाद भी गांधी परिवार को राजीव गांधी जैसा लोकप्रिय नेता नहीं दे पाई है। जबकि कांग्रेस पार्टी की बात करें तो इस समय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी कांग्रेस के सिरमौर हैं लेकिन राजीव जैसे बात उनमें नहीं है। कांग्रेस के कट्टर समर्थक अमृतसर के रोशन लाल कहते हैं कि कुछ भी हो राजीव जैसी बात राहुल में नहीं है, राजीव ऐसे गांधी परिवार का लाल था जिसने पूरी दुनियां में कुछ ही समय में नाम रोशन कर दिया लेकिन राहुल अभी भी राजीव की तुलना में वो बात नहीं जो उनमें हुआ करती थी।