फोर्टिस हॉस्पिटल ने एडवांस्ड शोल्डर स्टेब्लाईज़ेशन सर्जरी की मदद से प्रोफेशनल लेवल कबड्डी खिलाड़ी का करियर बचाया

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फोर्टिस हॉस्पिटल ने एडवांस्ड शोल्डर स्टेब्लाईज़ेशन सर्जरी की मदद से प्रोफेशनल लेवल कबड्डी खिलाड़ी का करियर बचाया

अमृतसर,16 नवंबर–: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल ने 22 वर्ष के एक प्रोफेशनल — लेवल के कबड्डी खिलाड़ी, रमनदीप की शोल्डर स्टेब्लाईज़ेशन सर्जरी करके अत्याधुनिक ऑर्थोपीडिक एवं स्पोर्ट्स मेडिसीन में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया। वो पिछले छः महीने से बार-बार शोल्डर डिसलोकेशन के कारण काफी पीड़ा में थे। यह प्रक्रिया डॉ. तपिश शुक्ला, एसोसिएट कंसल्टैंट, ऑर्थोपीडिक्स एंड स्पोर्ट्स मेडिसीन, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अमृतसर द्वारा की गई।

डॉ. तपिश शुक्ला, एसोसिएट कंसल्टैंट, ऑर्थोपीडिक एवं स्पोर्ट्स मेडिसीन, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, अमृतसर ने कहा, ‘‘लैटरजेट और रेंप्लिसेज़ तकनीकों के उपयोग से न केवल शोल्डर स्टेब्लाईज़ हुआ, बल्कि रमनदीप बिना किसी फंक्शनल बंधन के अपना खेल दोबारा शुरू करने में समर्थ बने। रमनदीप के जल्दी ठीक होने जाने का कारण स्पोर्ट्स मेडिसीन में हुई प्रगति और उनकी पीक परफॉर्मेंस वापस लाने की हमारी प्रतिबद्धता है।’’

डॉ. शुक्ला ने कहा, रमनदीप की मुश्किल छः महीने पहले शुरू हुई, जब पहली बार उनके दाएं कंधे का डिसलोकेशन हो गया था। तब से ही बार-बार शोल्डर डिसलोकेशन हो जाने के कारण वो कबड्डी नहीं खेल पा रहे थे, जिससे उनके करियर और वित्तीय स्थिति पर भी असर होने लगा था। उनका क्लिनिकल परीक्षण, एमआरआई और सीटी स्कैन करने के बाद डॉ. शुक्ला ने पाया कि रमनदीप को बैंकार्ट लैब्रल टियर (कंधे की चोट, जिसमें जोड़ की कार्टिलेज रिम (लैब्रम) टूट जाती है) और हिल-सैश्स लेज़ायन (शोल्डर बोन के ऊपर चोट, जो इसके डिसलोकेट हो जाने और शोल्डर सॉकेट पर दबाव डालने के कारण होती है) तथा 20 प्रतिशत ग्लेनॉयड (शोल्डर जॉईंट) बोन लॉस है। सर्जरी को तीन महीने हो चुके हैं, और रमनदीप का शोल्डर पूरी रेंज में गतिविधि कर रहा है। वो फिर से जिम जाने लगे हैं और बिना किसी दर्द के व्यायाम कर पा रहे हैं। वो पुश-अप और बेंच प्रेस करने में भी समर्थ हैं। दिसंबर के अंत तक वो प्रोफेशनल कबड्डी फिर से शुरू कर देंगे।

योगेश जोशी, फैसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अमृतसर ने कहा, ‘‘फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अमृतसर में हम लेटेस्ट मेडिकल टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हैं, ताकि मरीज अपनी चोट से उबरकर अपने जीवन पर नियंत्रण पा सकें। यह सफल सर्जरी हमारी ऑर्थोपीडिक टीम की विशेषज्ञता का उदाहरण पेश करती है, जो मरीजों को उम्मीद और मोबिलिटी प्रदान करने के लिए तत्पर है।’’