आज पटियाला शहर के प्राचीन श्री भूतनाथ मंदिर में उस वक्त माहौल तनावपूर्ण हो गया जब वहां पर पिछले 20 -25 सालों से खेती कर रहे किसान ने यह कहा कि मंदिर कि जो कमेटियों की आपसी लड़ाई का खामियाजा उसे मजबूरन भुगतना पड़ेगा! बिना पानी के उसकी फसल मर जाएगी क्योंकि कमेटियों में आपसी खींचोतान चल रही है प्रधानगी को लेकर, मगर मूझ गरीब किसान का इसमें क्या लेना देना है । उसने यह भी कहा कि मैं अपनी बनती छेहमाही ठेके की किस्त ₹66000/- भुगतान कर चुका हूं। मगर कमेटियों की तरफ से मुझे पानी नहीं दिया जा रहा ।
जिसके चलते मेरी फसल मर जाएगी और मैं किसान का बच्चा हूं और फसल को बेटे की तरह पाला है। अगर मेरी फसल मरेगी तो उसके साथ मैं भी मरन व्रत पर बैठकर शहीद हो जाऊंगा ,आखरी सांस तक अपनी फसल को बचाने के लिए लड़ता रहूंगा । यहीं अली अहमद ने प्रशासन से भी गुहार लगाई कि मुझे और मेरी फसल को इंसाफ दिलवाया जाए जहां एक तरफ किसान दिल्ली बॉर्डर पर केंद्र सरकार के साथ संघर्ष में लगा हुआ है। वहीं दूसरी ओर इस तरह मुझे परेशान किया जा रहा है । और बार-बार पुलिस का प्रेशर भी मेरे पर बनाने की कोशिश की जा रही है ।
इसी पर मौके पर पहुंचे पुरानी कमेटी के सदस्यों ने मंदिर के समर्सिबल से किसान को पानी दिया तो मौजूदा खुद को प्रधान बताने वाले रमेश मित्तल ने उसका विरोध किया मगर कमेटी के सदस्य सुशील नैयर की तरफ से कहा गया कि किसान के हक में और उसकी खेती के लिए अगर हमें मरना भी पड़े तो हम किसान के साथ हैं। किसान की फसल को बर्बाद करने का किसी को भी कोई हक नहीं, बीच-बचाव में पहुंची कमेटी ने खुद मुख्तियार होकर समर्सिबल चला कर खेतों को पानी देने का काम शुरू करवाया। तब कहीं अली अहमद किसान की सांस में सांस आई। किसान ने यह भी कहा कि चाहे मुख्यमंत्री पंजाब कैप्टन अमरिंदर सिंह डी जी पी पंजाब एस एस पी पटियाला किसी के पास भी जाना पड़े मैं आखरी दम तक अपनी फसल को बचाने के लिए लड़ता रहूंगा। और किसान जत्थे बंदियों से भी उसने मदद की गुहार लगाई